पुरुष और स्त्रियाँ गाँव के चौक पर उत्सवाग्नि के चारों ओर परम्परागत वेशभूषा में लोकप्रिय नृत्य भांगड़ा का प्रदर्शन करते हैं।
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निश्चित तिथि पर घाटी के हर घर से दो-तीन व्यक्ति जलती हुई मशालें लेकर उत्सवाग्नि के पास पहंुचते हैं तथा बारी-बारी ये अपनी मशालें अग्नि में फेंक देते हैं।