होने पर स्तन-पान की इस अवधि को स्तन पान ऋतुरोध (लैक्टेशनल अमेनोरिया)
4.
मासिक-धर्म न होने पर स्तन-पान की इस अवधि को स्तन पान ऋतुरोध (लैक्टेशनल अमेनोरिया) कहा जाता है।
5.
ऋतुरोध के दौरान गर्भधारण की संभावनाएं कम रहती है तथापि पहले मासिक धर्म से पहले डिंबोत्सर्ग होने लगता है, अतः यह भी संभव है कि मासिक-धर्म न होने पर फिर से गर्भ ठहर जाए।
6.
जब तक महिलाएँ स्तन-पान कराती रहती है अर्थात बच्चे को ऊपरी आहार न देकर रात और दिन बच्चे की मांग पर केवल स्तन-पान कराती है तो यह ऋतुरोध लंबे समय तक के लिए रहता है।
7.
मुद्राओं द्वारा विभिन्न प्रकार के रोगों का इलाज किया जा सकता है जैसे-आधे सिर का दर्द, आमाशय की जलन और सूजन, आमाशय का घाव (अल्सर), अनार्तव ऋतुरोध, पतले दस्त या अतिसार, बेहोशी, मानसिक तनाव, ब्रांकियल अस्थमा, एक्यूट ब्रोंकाइटिस...............................