० ६. अब आई फोर ईन्डियन कल्चर भारतीय संस्कृति और उसकी परंपरा शादी के सात वचन इष एकपदी भव ।
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उपस्थान मंत्र में कहा गया है कि ' हे गायत्री! आप त्रैलोक्यरूप पाद से एकपदी हो, त्रयीं विद्या रूप पाद से द्विपदी हो, प्राणादि तृतीय पाद से चतुष्पदि हो।
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इन सात पगों में (ॐ दूष एकपदी भव सा मामनुव्रता भव-आश्वालायन गृहसूत्र 1-7.9 पहले पद से (विष्णु रूप पति) घर के अन्नादिक के लिए, अनुपालन के लिए पग रखवाता है....
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ये इस प्रकार हैं-१-ॐ ईशा एकपदी भवः-हम यह पहला फेरा एक साथ लेते हुए वचन देते हैं कि हम हर काम में एक दूसरे का ध्यान पूरे प्रेम, समर्पण, आदर, सहयोग के साथ आजीवन करते रहेंगे.
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ये इस प्रकार हैं-१-ॐ ईशा एकपदी भवः-हम यह पहला फेरा एक साथ लेते हुए वचन देते हैं कि हम हर काम में एक दूसरे का ध्यान पूरे प्रेम, समर्पण, आदर, सहयोग के साथ आजीवन करते रहेंगे.