| 1. | कर्तापन के अभिमान से रहित होकर परमात्मा में एकीभाव...
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| 2. | परवाह किये एकीभाव से लगातार अब सृजनरत तक है।
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| 3. | (परब्रह्म परमात्मा में ज्ञान द्वारा एकीभाव से स्थित होना ही
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| 4. | एकीभाव से ध्यानपूर्वक भजते हैं,
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| 5. | एकीभाव से, समभाव से सभी परिस्थितियों में बना रहता है।
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| 6. | विश्वामित्र अग्नि से एकीभाव स्थापित करके अपने दिव्य अनुभव को इन शब्दों मेंव्यक्त करते हैं.
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| 7. | उनमें (चारों प्रकार के भक्तों में) मुझे में एकीभाव से स्थित अनन्य प्रेमभक्ति वाला ज्ञानी भक्त अति
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| 8. | (परब्रह्म परमात्मा में ज्ञान द्वारा एकीभाव से स्थित होना ही ब्रह्मरूप अग्नि में यज्ञ द्वारा यज्ञ को हवन करना है।
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| 9. | फ़िर भी प्रतिबद्ध कवि सृजन के दूसरे क्षण में इस तरह के सेंसर की बिना परवाह किये एकीभाव से लगातार अब सृजनरत तक है।
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| 10. | उनमें भी नित्य मुझमें एकीभाव से स्थित हुआ, अनन्य प्रेम-भक्तिवाला ज्ञानी भक्त अति उत्तम है क्योंकि मुझे तत्त्व से जानने वाले ज्ञानी को मैं
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