इस वृद्धि का मूलाधार छाल और लकड़ी के बीच मौजूद एधा (
3.
एधा पहले से मौजूद लकड़ी के बाहर नई परत जमा करती रहती है।
4.
एधा की बाहृा सतह से द्वितीयक फ्लोएम तथा आंतरिक सतह से द्वितीयक दारू विकसित होता है।
5.
एधा की बाहृा सतह से द्वितीयक फ्लोएम तथा आंतरिक सतह से द्वितीयक दारू विकसित होता है।
6.
यह मुख्यत: एधा (cambium), जड़ और तने के सिरों पर या, अन्य बढ़ती हुई जगहों पर, पाए जाते हैं।
7.
शीत एवं शीतोष्ण प्रदेशों में यह क्रिया केवल बसंत और ग्रीष्म के कुछ काल में होती है और जाड़े, या पतझड़ में एधा निष्क्रिय रहती है।
8.
मोटाई में सुस्पष्ट वृद्धि करने वाली जड़े, प्राथमिक दारू के ठीक बाहर प्राणालित बेलन के रूप में तथा प्राथमिक फ्लोएम के अंदर, संवहनी (vadcular) एधा (cambioum) विकसित करती है।
परिभाषा
पेड़ के तने की छाल के नीचे की वाहिकीय ऊतकों की परत:"एकबीजपत्री वनस्पति में एधा नहीं होता है" पर्याय: कैम्बियम,