| 1. | इस रोग का औपसर्गिक कारण एक प्रकार का विषाणु (
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| 2. | इस प्रकार यह एक औपसर्गिक व्याधि है जिसमें शिश्न पर ब्रण (
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| 3. | इसे हिन्दी में पूयमेह, औपसर्गिक पूयमेह और परमा कहते हैं और अँग्रेजी भाषा में गोनोरिया कहते हैं।
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| 4. | आपका ' औपसर्गिक मेह' तथा 'सफेद दाग' विषयक लेख यहां संग्रहीत हैं. वैद्य राजकुमार रायश्री राजकुमार राय झांसी (उ.
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| 5. | (५) अनेक बार रोग की उग्रावस्था में उपसर्ग-फुफ्फुसपाक, परिफुफ्फुस शोथ, परिह्दय शोथ, पर्युदर शोथ इत्यादि औपसर्गिक रोग उत्पन्न होते हैं.
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| 6. | बच्चों में कुछ वैकारिक जीवाणु तथा परजीवी कृमियों के कारण भी रोग उत्पन्न होते हैं, जिन्हें औपसर्गिक रोग कहते हैं।
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| 7. | बच्चों में कुछ वैकारिक जीवाणु तथा परजीवी कृमियों के कारण भी रोग उत्पन्न होते हैं, जिन्हें औपसर्गिक रोग कहते हैं।
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| 8. | इस प्रकार की क्षति या तो सीधे चोट लगने से, अथवा आलंबक रचनाओं में औपसर्गिक शोथ के प्रसार के कारण, होती है।
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| 9. | इस प्रकार की क्षति या तो सीधे चोट लगने से, अथवा आलंबक रचनाओं में औपसर्गिक शोथ के प्रसार के कारण, होती है।
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| 10. | इस प्रकार की क्षति या तो सीधे चोट लगने से, अथवा आलंबक रचनाओं में औपसर्गिक शोथ के प्रसार के कारण, होती है।
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