| 1. | अथ कज्जल विधानम् गृहीत्वौदुम्बरं पुष्पं वर्ति कृत्वा विचक्षणैः।
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| 2. | कम पानी क्योंकि, कज्जल पॉट से बाहर आया था.
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| 3. | “अंगद दीख दसानन बैसे! सहित प्राण कज्जल गिरि जैसे!!
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| 4. | जैसे दीपक तम भखै, कज्जल वमन कराय
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| 5. | रद्द करि कज्जल जलैद्द से समद्द रूप,
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| 6. | संसार तो कज्जल की कोठरी है।
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| 7. | घ. ^ कज्जल रूप तुअ काली कहिअए, उज्जल रूप तुअ
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| 8. | संसार तो कज्जल की कोठरी है।
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| 9. | संसार तो कज्जल की कोठरी है।
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| 10. | दोहा-दीपक तमको खात है, तो कज्जल उपजाय ।
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