इतनी चुप? परन्तु गंदगी के बावजूद कमरे में कुछ था, सृजनात्मकता की चमक से भरपूर, दीवार पर लगे दो-तीन चित्र, उनकी कलात्मकता, वही था शायद जो इस घर में जीवन्त था-नहीं तो क्या था वह अदृश्य? उम्र? बीता हुआ जीवन, या समय? जो चेहरे पर इतने सारे पदचिन्ह छोड़ जाता है कि जादुई आँखें फीकी सी हो जाती हैं और चेहरा चेहरा न रह कर बीते हुए वर्षों का कटाफटा अंकगणित।