वो पुरुष पुरातन विन्ध्याचल, कटि- मेखला बना हरषाया ।
4.
क्षुद्र घंटिका कटि- तट सोभित, नूपुर शब्द रसाल।
5.
यहां अनंग-सौंदर्य का नहीं, वरन सुन्दर वस्तु का चित्रण है-देख यह कपोत-कंठ बाहु बल्ली कर सरोज उन्नत उरोज पीन क्षीण कटि- नितम्बभार-चरण सुकुमार-गतिमंद-मंद छूट जाता धैर्य ऋषि मुनियों का ;