कनीनिका प्रदाह: बबूल के पत्तों के काढ़े को उबालकर गाढ़ा कर लें।
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आंखों के अन्दर जो गोलक दिखाई देते हैं उसे कनीनिका और अंग्रेजी में कॉर्निया कहते हैं।
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इन पलकों के बाद आंखों में सफेदी दिखाई देती है जिसे कनीनिका (कॉर्निया) कहते हैं।
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21 कनीनिका की सूजन:-अगस्त के फूल और पत्तों का रस नाक में डालने से आंखों के रोगों में पूरा लाभ होता है।
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जरूरत पड़ने पर इसे पानी या शहद में मिलाकर आंखों में रोजाना 2 से 3 बार लगाने से कनीनिका प्रदाह का रोग दूर हो जाता है।
6.
आँखें उसी समय तक ठीक काम कर सकती हैं जब तक कनीनिका, जलीय द्रव, ताल और ताल के पीछे रहने वाले द्रव स्वच्छ रहते हैं।
7.
उपतारा की सूजन आंख के आस-पास के अन्य स्थानों में पहुंच जाए, कनीनिका या आंख के दूसरे स्थानों में चली जाए, सेंक से रोगी को आराम मिले एवं हरकत से रोग दर्द बढ़े।
8.
खसरे की जटिलताएं अपेक्षाकृत साधारण ही हैं, जिसमें हल्के और कम गंभीर दस्त से लेकर, निमोनिया और मस्तिष्ककोप, (अर्धजीर्ण कठिन संपूर्ण मस्तिष्क शोथ), कनीनिका व्रणोत्पत्ति और फिर उसकी वजह से कनीनिका में घाव के निशान रह जाने के खतरे हैं.
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खसरे की जटिलताएं अपेक्षाकृत साधारण ही हैं, जिसमें हल्के और कम गंभीर दस्त से लेकर, निमोनिया और मस्तिष्ककोप, (अर्धजीर्ण कठिन संपूर्ण मस्तिष्क शोथ), कनीनिका व्रणोत्पत्ति और फिर उसकी वजह से कनीनिका में घाव के निशान रह जाने के खतरे हैं.
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खसरे की जटिलताएं अपेक्षाकृत साधारण ही हैं, जिसमें हल्के और कम गंभीर दस्त से लेकर, निमोनिया और मस्तिष्ककोप, (अर्धजीर्ण कठिन संपूर्ण मस्तिष्क शोथ), कनीनिका व्रणोत्पत्ति और फिर उसकी वजह से कनीनिका में घाव के निशान रह जाने के खतरे हैं.