The next to be published , again at the request of Sabapathy Mudaliar , was Manumurai Kanda Vachaham -LRB- A Tale of Justice -RRB- in which Ramalmga gave an expanded version in prose of the story of King Manuchchozhan dispensing justice to a cow , told in the ancient Tamil classic Periya Puranam of Sekkizhar . सभापति मुदलियार के अनुरोध पर अगली प्रकाशित कृति थी मनुमुरै कन्द वाचकम . ( न्याय कथा ) . इसमें रामलिंग ने मनुचोषण महाराज द्वारा गाय को न्याय दिलाने की प्रचलित नीति-कथा को विस्तृत रूप में गद्य में प्रस्तुत किया है.यह कथा , सेक़्किझार के तमिल महाकाव्य पेरियपुराणम् में उद्धृत है .
परिभाषा
गूदेदार और बिना रेशे की जड़:"प्राचीन काल में ऋषि-मुनि कंद,फल आदि खाकर जीवन यापन करते थे" पर्याय: कंद,
साफ करके जमाई हुई दानेदार या रवेदार चीनी जो शक्कर के दानों से बड़ी होती है :"वह मिश्री खा रहा है" पर्याय: मिश्री, मिसरी, कंद,
एक प्रकार की मिठाई:"मेवे की बर्फ़ी बड़ी मँहगी होती है" पर्याय: बर्फ़ी, बर्फी, बरफी, बरफ़ी, कंद,
तेरह अक्षरों का एक वर्णवृत्त:"कंद के प्रत्येक चरण में चार यगण तथा एक लघु होता है" पर्याय: कंद,
छप्पय छंद के इकहत्तर भेदों में से एक:"उनके द्वारा लिखित कंद प्रसिद्ध हैं" पर्याय: कंद,