इसके साथ उच्च रक्तचाप की चिकित्सा हेतु रौप्य भस्म, त्रिवंग भस्म, मणिष्य पिष्टी, सर्पगंधा का कपडछन चूर्ण (
2.
पक्षाघात होने पर दो भाग सरसों के दाने + एक भाग सौंठ को मिलाकर, बारीक पीसकर, कपडछन कर लें.
3.
प्रयोग रविवार को जब चंद्रमा पुष्य नक्षत्र पर हों तब बरगद वृक्ष की जटा ले आएं तथा इसे सुखाकर अगले रविवार को जलाकर राख को कपडछन करके रख लें।
4.
प्रयोग रविवार को जब चंद्रमा पुष्य नक्षत्र पर हों तब बरगद वृक्ष की जटा ले आएं तथा इसे सुखाकर अगले रविवार को जलाकर राख को कपडछन करके रख लें।
5.
इसके साथ उच्च रक्तचाप की चिकित्सा हेतु रौप्य भस्म, त्रिवंग भस्म, मणिष्य पिष्टी, सर्पगंधा का कपडछन चूर्ण (सभी 15-15 ग्राम), स्वर्णमाक्षिक भस्म, चन्द्रकलारस, सत्वगिलोय, अकीक पिष्टी, मुक्ता शुक्ति पिष्टी, प्रवाल चन्द्रपुष्टी, जटामांसी या बालछड का चूर्ण (सभी 30-30 ग्राम) मात्रा में लेकर इन सबको पक्के खरल में तीन घण्टे घोटकर किसी साफ शीशी में रख दें ।