सब कुछ सुना गया, अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भयमान कर उसकी आज्ञाओं का पालन करो, क्योंकि मनुषय् का सम्बूर्ण कर्त्त्व्य यही है।
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कहने का तात्पर्य है कि युवकों को पारिवारिक उन्नति हेतु कार्यों में संलग्न होने के साथ-साथ यह कदाचित नहीं भूलना चाहिए कि समाज के प्रति भी उसके कर्त्त्व्य हैं ।