दृष्टिमाद्य, रतौंधी, मोतियाबिंदु, काँचबिंदु आदि नेत्ररोगों से रक्षा होती है।
2.
संयमित आहार-विहार के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से मोतियाबिंद, काँचबिंदु, दृष्टिदोष आदि नेत्ररोग होने की सम्भावना नहीं होती।
3.
दृष्टि दोष, रतौंधी (रात को दिखाई न देना) मोतियाबिंद, काँचबिंदु आदि नेत्र रोगों से रक्षा होती है ।
4.
दृष्टि दोष, रतौंधी (रात को दिखाई न देना), मोतियाबिंद, काँचबिंदु आदि नेत्ररोगों से रक्षा होती है और बाल काले, घने व मजबूत हो जाते हैं।
5.
दृष्टि दोष, रतौंधी (रात को दिखाई न देना), मोतियाबिंद, काँचबिंदु आदि नेत्ररोगों से रक्षा होती है और बाल काले, घने व मजबूत हो जाते हैं।
6.
1 चम्मच बारीक त्रिफला चूर्ण, गाय का घी 10 ग्राम व शहद 5 ग्राम एक साथ मिलाकर नियमित सेवन करने से आँखों का मोतियाबिंद, काँचबिंदु, द्रष्टि दोष आदि नेत्र रोग दूर होते हैं ।