जो गुटबाजी के लिए एक कांचगृह था जिसकी रखवाली और नियंत्रण प्राइस ने बड़ी चतुराई से की.
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जो गुटबाजी के लिए एक कांचगृह था जिसकी रखवाली और नियंत्रण प्राइस ने बड़ी चतुराई से की.
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1865 तक डेलीगेसी (प्रतिनिधित्व / नुमाइंदगी) का सर्वकालिक होना बंद हो गया और इसकी जगह पांच सर्वकालिक और पांच कनिष्ट पदों का विकास हुआ जिन्हें विश्वविद्यालय की तरफ से होने वाली नियुक्ति के माध्यम से भरा जाता था और इसके साथ ही साथ वाइस चांसलर एक पदेन डेलीगेट होता था: जो गुटबाजी के लिए एक कांचगृह था जिसकी रखवाली और नियंत्रण प्राइस ने बड़ी चतुराई से की.