मैं मानो एक काल-निरपेक्ष क्षण में टँगी हुई हूँ-वह क्षण
3.
काल-निरपेक्ष नहीं है-सेल्मा भी काल में ही जीती है जैसे कि हम सब
4.
वास्तविक ज्ञान परिस्थिति एवं काल-निरपेक्ष होता है जो मानवीय बुद्धि द्वारा ग्रहण नहीं किया जा सकता.
5.
चिन्हित अवरोधको के विरूद्घ किए गये संघर्ष और संघर्षों में पगेे अनुभवों की विचारकृति ने लोहियावाद नामक दर्शन को प्रतिपादित किया, जो काल-निरपेक्ष था।
6.
समय और समयमुक्त, काल और काल-निरपेक्ष, अनित्य और सनातन की सीमा-रेखा और क्या है-सिवा हमारी साँसों के और साँसों की चेतना में होनेवाले जीवन-बोध के।
7.
मैं मानो एक काल-निरपेक्ष क्षण में टँगी हुई हूँ-वह क्षण काल की लड़ी में से टूटकर कहीं छिटक गया है और इस तरह अन्तहीन हो गया है-अन्तहीन और अर्थहीन।
8.
मैं मानो एक काल-निरपेक्ष क्षण में टँगी हुई हूँ-वह क्षण काल की लड़ी से टूटकर कहीं छिटक गया है और इस तरह अन्तहीन हो गया है-अन्तहीन और अर्थहीन।
9.
मैं मानो एक काल-निरपेक्ष क्षण में टँगी हुई हूँ-वह क्षण काल की लड़ी से टूटकर कहीं छिटक गया है और इस तरह अन्तहीन हो गया है-अन्तहीन और अर्थहीन।
10.
वह सच भी काल-निरपेक्ष नहीं है-सेल्मा भी काल में ही जीती है जैसे कि हम सब जीते हैं, लेकिन वह मानो किसी एक काल में नहीं जीती बल्कि समूचे काल में जीती है।