परंतु कूटस्थता के होते हुए भी कार्य उत्पन्न होता है।
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परंतु कूटस्थता के होते हुए भी कार्य उत्पन्न होता है।
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परंतु कूटस्थता के होते हुए भी कार्य उत्पन्न होता है।
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परंतु कूटस्थता के होते हुए भी कार्य उत्पन्न होता है क्योंकि द्रष्टा को अज्ञान आदि बाह्य उपाधियों के कारण कूटस्थ कारण अपने शुद्ध रूप में नहीं दिखाई देता।
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परंतु कूटस्थता के होते हुए भी कार्य उत्पन्न होता है क्योंकि द्रष्टा को अज्ञान आदि बाह्य उपाधियों के कारण कूटस्थ कारण अपने शुद्ध रूप में नहीं दिखाई देता।
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परंतु कूटस्थता के होते हुए भी कार्य उत्पन्न होता है क्योंकि द्रष्टा को अज्ञान आदि बाह्य उपाधियों के कारण कूटस्थ कारण अपने शुद्ध रूप में नहीं दिखाई देता।