प्रकोष्ठास्थि के कूर्पर प्रवर्ध (olecranon process) के ऊर्ध्व पृष्ठ पर लगती है।
3.
उज्जैनी: उज्जैनी, मध्य प्रदेश में देवी की कूर्पर या कोहनी गिरी थी।
4.
यह कुहनी कूर्पर (elbow) के सामने से प्रारंभ होकर अग्रबाहु के भीतरी किनारे पर सीधी नीचे हथेली तक चली जाती है और वहाँ अँगूठे की ओर को मुड़कर, बहि:प्रकोष्ठिका की शाखा के साथ मिलकर उत्तल करतल चाप (superficial palmar arch) बना देती हैं, जिसमें कनिष्ठा, मध्यमा और अनामिका अंगुलियों के दोनों ओर, तर्जनी के केवल भीतरी किनारे पर, शाखाएँ चली जाती हैं।