केनोपनिषद् वाक्य
उच्चारण: [ kenopenised ]
"केनोपनिषद्" का अर्थउदाहरण वाक्य
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- -केनोपनिषद् (सामवेद तलवकार(ब्राह्मण), खण्ड 1, मंत्रा 6)।
- केनोपनिषद् का समापन प्रसंग है:
- केनोपनिषद् का समापन प्रसंग है:
- इस ब्राह्मणग्रंथ के नवम अध्याय को “ केनोपनिषद् ” कहते हैं।
- केनोपनिषद् (1.8) में प्राण संबंधी प्रश्न पूछा गया है।
- सूतजी के उत्तर से अठारह पुराण बन गये! केनोपनिषद् और प्रश्नोंपनिषद् इन
- -केनोपनिषद् (सामवेद तलवकार (ब्राह्मण), खण्ड 1, मंत्रा 6) ।
- तलवकार (तवलकार) इसकी अवान्तर शाखा है जिससे सम्बद्ध उपनिषद् केनोपनिषद् के नाम से प्रसिद्ध है ।
- केनोपनिषद् में कहा गया है कि मनुष्य शरीर में अगर अज्ञान को नहीं मिटाया तो कई कल्पों तक दुःख प्राप्त करते रहोगे।
- केनोपनिषद् ने “मतं यस्य न वेद स: ” इन शब्दों द्वारा ब्रह्म के बौद्धिक ज्ञान का खंडन किया है, तथा माण्डूक्योपनिषद् ने “एकात्मप्रत्ययसार” इस कथन से ब्रह्म की अपरोक्षानुभूति ही संभव बतलाई है।
- वेदों और उपनिषदों में (ऋग्वेद का नारदीय सूक्त, केनोपनिषद्, श्वेताश्वेतरोपनिषद आदि), गीता के 11 वें अध्याय में, शंकराचार्य के अद्वैतवाद में, सहजानंद के उपासक कण्हपा आदि सिद्धों की रचनाओं में रहस्यवादी भावनाएं नाना रूपों में व्यक्त हुई हैं ; किंतु वेदों से सिद्धों तक यह अभिव्यक्ति बौद्धिक चिंतन अर्थात मस्तिष्क से ही संबंधित रही हैं।
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