केवटिया से लड़की देखकर आ रहा किशन पिता उजनसिंह निवासी यशवंतनगर केवटिया झीरी नाले में बह गया।
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केवटिया से लड़की देखकर आ रहा किशन पिता उजनसिंह निवासी यशवंतनगर केवटिया झीरी नाले में बह गया।
6.
जाता है तो जाण दे, तेरी दशा न जाई | केवटिया की नाव ज्यूँ, चडे मिलेंगे आई ||
7.
कुछ लेना ना देना मगन रहना | पांच तत्व का बना है पिंजरा, भीतर बोल रही मैना | तेरा पिया तेरे घाट मै बसत है, देखो री सखी खोल नैना | गहरी नदिया नाव पुरानी, केवटिया से मिल रहना | कहत कबीर सुनो भई साधो, प्रभु के चरण लिपट रहना |
8.
शाम की ठंडी बुहार, शांत समुद्र अपने चाहने वालों को राहत देने ऊंची लहर मारता था, हाथ में हाथ थामे कितनी ही प्रेमी जुगल इन बूंदों से सिहर जाते, वहीँ पास में दाना दल के इन परिंदों को खिलाता कोई, बे वज़ह ही अचानक ही उड़ कर, आपस में लड़ते फ़िर गुटुर गुन में लग जाते, नाव वाले गुफाओं तक ले जाने की टिकेट बेचेते, एक मधुमास के प्रेम में सिक्त जोड़ा पानी में गिरने को होता तो केवटिया थाम लेता।