आज का हमारा यह प्रतीकात्मक-प्रतिरोध हिंदी के अखबारों द्वारा चलाए जा रहे उसी खतरनाक ‘ क्रिओलीकरण ‘ की प्रक्रिया के विरूद्ध है।
2.
यह प्रतिरोध हिंदी के साथ ही तमाम भारतीय भाषाओं के ‘ क्रिओलीकरण ‘ के विरूद्ध है, जिसमें, गुजराती, मराठी, कन्नड़, उड़िया, असममिया आदि सभी भाषाएं शामिल हैं।
3.
हिन्दी, यदि संसार की दूसरी सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा की चुनौतीपूर्ण सीमा लांघने को है, तब उसे एक धीमी मौत मारने के लिए उसका क्रिओलीकरण क्यों किया जा रहा है?
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हम यह प्रतिरोध हिन्दी के साथ ही साथ तमाम भारतीय भाषाओं के ' क्रिओलीकरण ' के विरूध्द है, जिसमें, गुजराती-मराठी, कन्नड़, उडिया, असममिया, सभी भाषाएँ शामिल हैं।
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उदाहरण के लिए यह क्रिओलीकरण ठीक उस समय किया जा रहा है, जब हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की सीमित भाषाओं की सूची में शामिल करने के प्रयास बहुत तेज हो गए हैं।
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उदाहरण के लिए यह क्रिओलीकरण ठीक उस समय किया जा रहा है, जब हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की सीमित भाषाओं की सूची में शामिल करने के प्रयास बहुत तेज हो गए हैं।
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हिन्दी, यदि संसार की दूसरी सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा की चुनौतीपूर्ण सीमा लांघने को है, तब उसे एक धीमी मौत मारने के लिए उसका क्रिओलीकरण क्यों किया जा रहा है?
8.
यदि अखबारों की होली जलाकर प्रकट किये गये इस विरोध के बाद हिन्दी के समाचार पत्रों मे भाषा के ‘ क्रिओलीकरण ‘ की गति तेज हो जाये तो यह स्पष्ट सूचना जायेगी कि भाषा संबंधी नीतियों के पीछे अँग्रेजी की ‘ नवसाम्राज्यवादी ‘ शक्तियाँ दृढ़ता के साथ काम कर रही हैं।
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यदि अखबारों की होली जलाकर प्रकट किए गए इस विरोध के बाद हिंदी के समाचार पत्रों मंे भाषा के ‘ क्रिओलीकरण ‘ की गति तेज हो जाए तो यह स्पष्ट सूचना जाएगी कि भाषा संबंधी नीतियों के पीछे अंग्रेजी की ‘ नवसाम्राज्यवादी ' शक्तियां दृढ़ता के साथ काम कर रही हैं।
10.
बहरहाल, इन्दौर नगर में भारतीय समाचार पत्रों को उनकी भाषागत नीति को केन्द्र में रखकर उसके प्रतिरोध में होली जलाने वाली कार्यवाही को लेकर इतना आहत और क्रोधित नहीं होना चाहिए कि उनके द्वारा अकारण किये जा रहे क्रिओलीकरण के खिलाफ शुद्ध गाँधीवादी प्रतिकार की खबर को वे अपने पृष्ठों पर तिल भर भी जगह न दें।