यही, जीवन शक्ति है. वात की यह शक्ति ही जीव (सोल या पोटेंशियलफार्म) अथवा उसका क्रियाकारी रूप है.
2.
तब से दादा के ज्ञान के प्रति मेरी श्रद्धा और बढ़ गई और मुझें यह एहसास हुआ कि मेरी तरफ से कुछ भी प्रयास न होने के बावजूद, दादा का ज्ञान स्वयं क्रियाकारी हैं।