ओह कितना क्लेशदायी बन गया निज सत्य मेरा तुम न आये लौटकर फिर, आ गया संदेश मेरा ।
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यह अत्यंत क्लेशदायी है और जब राजनेता क्षुद्र स्वार्थो के लिए देश, धर्म एवं संस्कृति की बलि चढ़ाने को तैयार होते हैं, जनता को धोखा देते हैं तो मन और भी विषाद से भर जाता है।
3.
यह अत्यंत क्लेशदायी है और जब राजनेता क्षुद्र स्वार्थो के लिए देश, धर्म एवं संस्कृति की बलि चढ़ाने को तैयार होते हैं, जनता को धोखा देते हैं तो मन और भी विषाद से भर जाता है।