| 1. | में स्थित है, जहाँ क्षुदांत्र उससे मिलता है।
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| 2. | आमाशय के जठरनिर्गम के दूसरी ओर से क्षुदांत्र (
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| 3. | क्षुदांत्र के रस में भी पाचन शक्ति होती है।
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| 4. | क्षुदांत्र की सूक्ष्म रचना आमाशय के ही समान होती है।
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| 5. | क्षुदांत्र का कार्य विशेषतया अवशोषण (
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| 6. | ग्रहणी को छोड़कर क्षुदांत्र के प्रथम भाग का नाम अग्रछुदांत्र है।
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| 7. | 20-22 फुट लंबी क्षुदांत्र की नली का यही विशेष कार्य है।
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| 8. | क्षुदांत्र में वे प्रोटीन, वसा तथा स्टार्च आदि का भंजन करते हैं।
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| 9. | और उदर के निचले दाहिने भाग में स्थित क्षुदांत्र कहलाता है, जो त्रिकांत्री कपाटिका (
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| 10. | ग्रहणी से आहार, जिसमें उसके पाचित अवयव होते हैं, क्षुदांत्र के प्रथम भाग अग्रक्षुद्रांत (
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