अब चूँकि विज्ञान और तकनीकी विकास ने विश्व के सुदूर भूभागों को भी पड़ोसी-परिवार जैसा निकट ला दिया है, इसलिए अब क्रांति भी क्षेत्रीय- एकदेशीय न होकर भूमण्डलीय (ग्लोबल) ही होगी।
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इस दौर में जो अधिकांश क्षेत्रीय- भाषाई और मज़हबी पार्टियां राष्ट्रीय हितों की उपेक्षा के लिए कुख्यात हो चुकी हैं उन्हें नसीहत अवश्य दी जाए और अखिल भारतीय स्तर के दलों को ज्यादा महत्व दिया जाए.