| 1. | 3 मेरा प्राण भी बहुत खेदित है।
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| 2. | खेदित मन वालों और दीन लोगों के लिए सुसमाचार
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| 3. | सिरजी गई वस्तुओं की आराधना करने के कारण मैं खेदित हूं।
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| 4. | अपने आँसुओं के लिये हम कभी कभी खेदित क्यों होते हैं?
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| 5. | 20 मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है।
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| 6. | 23 धनुर्धारियोंने उसको खेदित किया, और उस पर तीर मारे, और उसके पीछे पके हैं।।
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| 7. | 23 धनुर्धारियोंने उसको खेदित किया, और उस पर तीर मारे, और उसके पीछे पके हैं।।
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| 8. | की वर्षा और पूस माघ की तुषार के दुःख को सहकर न खेदित होना इन्हीं का काम
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| 9. | परन्तु जब वह घमण्ड से चूर हो गया, तब परमेश्वर शाऊल को राजा बनाकर खेदित हुआ।
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| 10. | 18 इसलिये कि मैं तो अपने अधर्म को प्रगट करूंगा, और अपने पाप के कारण खेदित रहूंगा।
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