“ मुख्य मंत्री जी, आप चलिए, हम अभी आते हैं, ” कहकर उन्होने अपना मुंह मेरी ओर कर लिया-“ कोई जियादा गड़-बड़ का बात नहीं है ना? ”
3.
पिछ्वाड़े तै ही तो मामला गड़-बड़ हो रह्या सै, नही तो भैंस के मामले में अपणी सपेसलिटी सै, यो पुंछ ही गड़-बड़ कर रही सै-इब डाकदर साब अपणा फ़ाइनल रिजल्ट “काला हिरण” सल्लु वाळा-पत्थर की लकीर
4.
पिछ्वाड़े तै ही तो मामला गड़-बड़ हो रह्या सै, नही तो भैंस के मामले में अपणी सपेसलिटी सै, यो पुंछ ही गड़-बड़ कर रही सै-इब डाकदर साब अपणा फ़ाइनल रिजल्ट “काला हिरण” सल्लु वाळा-पत्थर की लकीर
5.
? अपनी नियति उसे खुद बदलना और निर्धारित करना सिखाना, दुःख के निराकरण के लिए सिर्फ आंसू बहाने की बजाये किसी आपात स्थिति में अपने हिसाब से द्रढ़-हो नियम बनाना, बेशक कोई नियम गड़-बड़ भी हो जाये तो हर्ज क्या है?
6.
बस ऐसा ही झूठा सच जीना होता है, फिर ऐसे में क्या ज़रूरी है ताउम्र, अपनी बेटी के लिए माँ से बेहतर कौन जान सकता है..? अपनी नियति उसे खुद बदलना और निर्धारित करना सिखाना, दुःख के निराकरण के लिए सिर्फ आंसू बहाने की बजाये किसी आपात स्थिति में अपने हिसाब से द्रढ़-हो नियम बनाना, बेशक कोई नियम गड़-बड़ भी हो जाये तो हर्ज क्या है?