यहां तक कि ग़ैर-ईसाई सूत्रों ने लिखा है कि यीशु मरे:
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वर्तमान युग में बहुत से ईसाई और ग़ैर-ईसाई लेखकों ने इन मान्यताओं की आलोचना की है।
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वर्तमान युग में बहुत से ईसाई और ग़ैर-ईसाई लेखकों ने इन मान्यताओं की आलोचना की है।
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प्रोटेस्टैंट दृष्टिकोण इस से विपरीत है और उसमें अक्सर संत-प्रथा को यूरोप की प्राचीन ग़ैर-ईसाई रिवाजों का एक छुपा रूप माना जाता है जिसमें बहुत से देवी-देवताओं हुआ करते थे।
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प्रोटेस्टैंट दृष्टिकोण इस से विपरीत है और उसमें अक्सर संत-प्रथा को यूरोप की प्राचीन ग़ैर-ईसाई रिवाजों का एक छुपा रूप माना जाता है जिसमें बहुत से देवी-देवताओं हुआ करते थे।
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प्रोटेस्टैंट दृष्टिकोण इस से विपरीत है और उसमें अक्सर संत-प्रथा को यूरोप की प्राचीन ग़ैर-ईसाई रिवाजों का एक छुपा रूप माना जाता है जिसमें बहुत से देवी-देवताओं हुआ करते थे।
7.
इसलिए, यीशु, ओल्ड टैस्टमैंट ईश्वरदूतों, यीशु के अनुयायियों, ग़ैर-ईसाई इतिहासकारों, वग़ैरह की गवाहियाँ आदि मुहम्मद (या क़ुरान) की गवाही (जो घटना के लगभग छ: सौ साल बाद लिखी गई) की तुलना में सही हैं, कानूनी हैं और विश्वसनीय हैं।
8.
ईसाई मिशनरियों के हथकंडों से हम सब वाकिफ़ हैं लेकिन जो इनसे परेशान हैं उन्हें सोचना यह नहीं चाहिए कि ईसाई शाला के वाहन चालक ने ऐसा क्यों किया, बल्कि यह, कि ग़ैर-ईसाई शालाएँ बनाने वाले कहा गुम और फ़ुर्र हो गए?