सईदुल हक़ इतने लंबे अरसे तक जेल में रहने के बाद सुनहरे दिनों के साथ-साथ अपनी वाकशक्ति भी खो चुके हैं पाकिस्तान में पुलिस और प्रशासन की ग़ैरज़िम्मेदारी या कोताही का एक गंभीर मामला सामने आया है.
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सोचते हैं, “ अब क्या हमें पता होता है कि कोई अचानक मर जाएगा! रहे होते 4-6 महीने खाट पर, दाखिल-वाखिल होते अस्पताल में, चर्चा-वर्चा हुई होती बीमारी की, लेखकों और सरकार की ग़ैरज़िम्मेदारी की...... इस दौरान अंदाज़ा तो हो जाता ‘‘ डेट ऑफ ऐक्सपायरी '' का......... अप्रकाशित सामग्री के ढेर लगा देता........ ” ऐसे ही एक संपादक को रचना भेजी।