महीनों की ढील-ढाल और तूलतबील कार्यशैली ने गुंडापन को उभारा है।
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यह गुंडापन ज़रूर गायब हो जाता, मगर अब तो सारी हिन्दू कौम हमें निगलने के
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तालीम और तहज़ीब की तरक्की के साथ कुछ दिनों में यह गुंडापन ज़रूर गायब हो जाता, मगर अब तो सारी हिन्दू कौम हमें निगलने के लिए तैयार बैठी हुई है।
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प्रेमचंद इसमें लिखते हैं, मुसलमानों में हिंदुओं से ज्यादा गुंडापन है, मुसलमान हिंदू औरतों को भगा ले जाने, जबरदस्ती निकाह पढ़ाने, मजहबी जुलूस पर हमला करने और ऐसे दूसरे हथकंडों में कुशल हैं, लेकिन हिंदुओं में ये नहीं हैं।