| 1. | (३) गृध्रसी वात तथा अन्य प्रबल वात वेदना.
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| 2. | टांगों का स्नायुशूल (साइटिका, गृध्रसी):-
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| 3. | 21 गृध्रसी (सायटिका):
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| 4. | अगर गृध्रसी जैसे लक्षण हे तो पारिजात पत्र चूर्ण लाभदायी रहेगा.
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| 5. | एकांगवीर रस: गृध्रसी, विकलांगता आदि तीव्र वात विकारों में लाभदायक।
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| 6. | पैर में असहनीय दर्द-गृध्रसी या सायटिका (Sciatica) ॰
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| 7. | कोमल कोंपलो को मसल कर कल्क बांधने से गृध्रसी रोग मे लाभकरी है।
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| 8. | कोमल कोंपलो को मसल कर कल्क बांधने से गृध्रसी रोग मे लाभकरी है।
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| 9. | -अकरकरा की जड़ को अखरोट के तेल में मिलाकर मालिश करने से गृध्रसी मिटती है।
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| 10. | गृध्रसी (सायटिका): हरसिंगार के ढाई सौ ग्राम पत्ते साफ करके एक लीटर पानी में उबालें।
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