क्योंकि उन सेनानियों की पहचान दर्ज की जाती थी और कानून प्रवर्तन तथा प्रति खुफिया एजेंसियों के लिए भारत का अनुसंधान और विश्लेषण विंग के पास उपलब्ध होता था 1980 से टाइगर काडरों को प्रशिक्षण देता था, इसलिए के.पी शाखा के लिए लड़ने वाले लोगों को लिट्टे के बाहर से लाया जाता था. के पी शाखा गोपनशीलता के लिए, सुरक्षा को दृष्टी में रखते हुए लिट्टे के अन्य वर्गों के साथ न्यूनतम संबंध रखते हुए संचालन करता है.