| 1. | 2. गोलकृमि के अलग अलग लिंग होते हैं।
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| 2. | 2. गोलकृमि के अलग अलग लिंग होते हैं।
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| 3. | इस संघ में छोटे छोटे गोलकृमि (round worm) आते हैं।
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| 4. | गोलकृमि या नीमेटोडः-यह कृमि पौधे की जड़ों में प्रवेश करके अन्दर से रसचूंसती रहती हैं.
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| 5. | इसके साथ ही पशुओं में गोलकृमि (निमटोड) जैसी गंभीर बीमारी का निदान भी हो सकेगा।
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| 6. | पेट में अगर राउंड वर्म यानी गोलकृमि हों, तो आप होम्योपैथिक दवा सिना का प्रयोग कर सकते हैं।
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| 7. | पेट में अगर राउंड वर्म यानी गोलकृमि हों, तो आप होम्योपैथिक दवा सिना का प्रयोग कर सकते हैं।
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| 8. | इस फफूंद के पावडर को दवाई के रूप में उपयोग करने से गोलकृमि की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
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| 9. | गौरतलब है कि पशुओं में गोलकृमि परजीवी की समस्या भारत सहित विश्व के दूसरे देशों में भी एक गंभीर समस्या है।
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| 10. | गोलकृमि के रोकथाम के लिए बाजार में सामान्यत: रसायनयुक्त एलोपैथी दवाईयां उपलब्ध है परंतु इससे इसका स्थायी निदान नही हो पाता।
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