लेखक तथा आख्या अनुक्रमणिकामें पूर्ण ग्रंथपरक विवरण दिए गये हैं.
2.
भारतीय सामग्री के ग्रंथपरक संगठन में इस पुस्तक का महत्वपूर्ण योगदानहै.
3.
भारतीय प्रकाशनों के ग्रंथपरक नियंत्रण में इससे एकमहत्वपूर्ण अभाव की पूर्ति होती है.
4.
इसमें ५३० प्रकाशकोंकी २४, ३०० पुस्तकें सम्मिलित हैं, ग्रंथपरक विवरण इसमें यथोचित नहीं है.
5.
अभी भारतीय प्रकाशनोंके ग्रंथपरक नियंत्रण के लिए कई ग्रंथपरक उपकरण उपलब्ध हैंः इन प्रयासोंमें द्विगुणन भी काफी है.
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अभी भारतीय प्रकाशनोंके ग्रंथपरक नियंत्रण के लिए कई ग्रंथपरक उपकरण उपलब्ध हैंः इन प्रयासोंमें द्विगुणन भी काफी है.
7.
इस भाग की समा-~ विष्ट प्रविष्टियों में जो ग्रंथपरक विवरणप्रायः दिये जाते हैं, उसके साथ ही डियवी डिसमल क्लासीफिकेशन के अनुसारप्रविष्टियों में वर्ग संख्या भी दी गयी है.