| 1. | शिवहरि वास्तव नाम पं. भोलासिंह ग्रन्थकर्ता के पिता।
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| 2. | पाठक इस जगह ही ग्रन्थकर्ता महाशय की
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| 3. | ग्रन्थकर्ता को केवल अपनी योग्यता की नोटिस देनी थी, क्योंकि ग्रन्थ के
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| 4. | ग्रन्थकर्ता महाशय के बताये हुए बारह पुराण को देखिये तो उसमें जाति-विचार
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| 5. | समुद्री डकैती, ग्रन्थकर्ता की आज्ञा के बिना उसके ग्रन्थ को छापकर लाभ उठाना
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| 6. | ग्रन्थकर्ता महाशय ने झूठ-मूठ लिया हैं वैसे ही या तो तन्त्र ग्रन्थ का
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| 7. | साथ ही, यह भी याद रखना चाहिए कि ग्रन्थकर्ता ने जाति विषयक दो प्रकरण अलग
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| 8. | ग्रन्थकर्ता या उसके बनवानेवाले ने जिसे अपनी समझ में जैसा उपयोगी समझा वैसा लिखा या लिखवा दिया।
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| 9. | भाषा विद्वान होने के चलते ये आवश्यक नहीं कि वो ग्रन्थकर्ता की मूल भावना, मंतव्य की भी समझ रखता हो।
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| 10. | ' पाठक इस जगह ही ग्रन्थकर्ता महाशय की सुबुद्धि का पता लगा कर संपूर्ण ग्रन्थ की बातों की सच्चाई-झुठाई समझ सकते हैं।
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