जिस दिशा में रक्त का दाब कम होता जाता है उस दिशा में घनास्र (
2.
इसके दुष्परिणाम घनास्र के मूलस्थान, विस्तार तथा उसके पूतिदूषित या अपूतिक होने पर निर्भर होते हैं।
3.
घनास्र वाहिका के एकाध स्थान पर चिपककर बाकी स्वतंत्र रहता है और आघात, स्थानपरिवर्तन, आकस्मिक गति इत्यादि से टूटकर, या अलग होकर, दूरवर्ती स्थानों में जा अटकता है।