छुट्टा घूमते हुए भोजन तलाशना पडेगा या हरी-हरी घास-चारा नियमित रूप से सहज सुलभ होगा।
2.
कैसे कोई जंगलों से घास-चारा लाये? कैसे हम अपने रोजमर्रा के भोजन की व्यवस्था करें?
3.
जो सारे देशका घास-चारा खा गया हो और निरोध के दुश्मंसे अच्छी उम्मीद रखना बेकार है.
4.
जब तक मरी भैंस ओबरे से बाहर नहीं निकाली, न मां खुद रोटी खाएगी न पशुओं को ही घास-चारा डालेगी।
5.
दो-तीन दिन बाद किशन घास-चारा लेने जा रहा था, उस दौरान रास्ते में गुटखा खाने के लिए बैलगाड़ी रोक दी और दुकान पर चला गया।
6.
शहर से ज्यूबिली ब्रिज के निकट खंडपीठ क्षेत्र से घर के अन्य पशुओं के लिए घास-चारा लाने के लिए किशन ने इस बैल की खरीदी की थी।
7.
उसी दिन के बाद से बैल को कोल्ड्रिंग की आदत हो गई और घास-चारा लेने जाते समय रास्ते में कोल्ड्रिंग दुकान आते ही बैल वहीं रुक जाता है।
8.
इनकी ग़रीबी का आलम यह है कि ये अपने चंद मवेशियों के लिए घास-चारा और ईंधन के लिए लकड़ी आदि दूरदराज़ के खेतों से इकट्ठा करते हैं.
9.
घास-चारा कहाँ से आये? सो वे कलेक्ट्रेट के लॉन के माली से कह देते थे कि भाई साहब! आपकी जगह घास के ऊपर से मशीन हम घुमा देंगे और उस कटी हुई घास को आप हमको दे देना।
10.
संत-महंतों, कथाकारों और धर्माधीशों का फर्ज है कि वे अपने स्वार्थ छोड़कर जनता से यह कहें कि रोजाना पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करें, घास-चारा डलवायें, प्याऊ खुलवाएं, परिण्डा बांधे और प्राणी मात्र की सेवा करें।