कोणीय संवेग के कारण ही घूर्णाक्षस्थापी में दृढ़ता तथा जड़त्व के गुणों का समावेश होता है।
2.
कोणीय संवेग अधिक हो इस हेतु काफी अधिक व्यासवाला गतिपालक चक्र (फ्लाई-ह्वील) घूर्णाक्षस्थापी में प्रयुक्त किया जाता है।
3.
कोणीय संवेग अधिक हो इस हेतु काफी अधिक व्यासवाला गतिपालक चक्र (फ्लाई-ह्वील) घूर्णाक्षस्थापी में प्रयुक्त किया जाता है।
4.
उपर्युक्त गुण के कारण घूर्णाक्षस्थापी का प्रयोग पृथ्वी के परिभ्रमण का दिग्दर्शन करने के हेतु किया जा सकता है।
5.
उपर्युक्त गुण के कारण घूर्णाक्षस्थापी का प्रयोग पृथ्वी के परिभ्रमण का दिग्दर्शन करने के हेतु किया जा सकता है।
6.
जलयानों के डेकों के नीचे यान की केंद्ररेखा पर एक घूर्णाक्षस्थापी लगा दिया जाता है जिसका चक्र, या घूर्णक, विशेष प्रकार के दृढ़ इस्पात का बना होता है।
7.
जलयानों के डेकों के नीचे यान की केंद्ररेखा पर एक घूर्णाक्षस्थापी लगा दिया जाता है जिसका चक्र, या घूर्णक, विशेष प्रकार के दृढ़ इस्पात का बना होता है।
8.
यदि किसी घूर्णाक्षस्थापी को पृथ्वी तल के किसी स्थान पर इस प्रकार रखा जाय कि उसका भूमि अक्ष पूर्व पश्चिम दिशा में क्षैतिज रहे, तो पृथ्वी के परिभ्रमण के साथ साथ उसका संपूर्ण ढांचा (
9.
के रूप में-बाह्य-बलघूर्ण के द्वारा अप्रभावित रहने के घूर्णाक्षस्थापी के गुण का उपयोग सागर के वक्ष पर यात्रा करनेवाले जलयानों को उत्ताल तरंगों के धक्कों से डगमगाने, या उलटने, से बचाने के लिये किया जाता है।
10.
1. घूर्णक्षस्थिरक (Gyro-stabilizer) के रूप में-बाह्य-बलघूर्ण के द्वारा अप्रभावित रहने के घूर्णाक्षस्थापी के गुण का उपयोग सागर के वक्ष पर यात्रा करनेवाले जलयानों को उत्ताल तरंगों के धक्कों से डगमगाने, या उलटने, से बचाने के लिये किया जाता है।