अत: सम्पूर्ण जगत् दिक्-काल के चतु: आयामी क्षेत्र से उद्भूत है।
2.
ऋग्वेद (४/५८) में कहा है-“उप ब्रह्मा श्रिणव त्ध्स्यमानं चतु: श्रिन्गोअबसादिगौर एतत।।
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२. पुणे अध्यात्मिक रूप से भी विश्व में मशहूर है, ओशो कम्यून, गणेश जी के दगड़ू सेठ और कसबा तथा अष्टविनायक मंदिर, माता का चतु:
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इस खंड के प्रारंभ में जिस समरूपीकृत संस्कृति की मैंने बात की उसे सर्वाधिक चुनौती यू. पी. बिहार से ही मिली है जहाँ चतु: या पंचकोणीय मुकाबले देखने को मिलते हैं।
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ऋग्वेद ४ / ५८ का कथन है-'उद् ब्रह्मा शृंणवत्पश्यमानं चतु: श्रंगो वसादिगौर एतत।'-अर्थात हमारे द्वारा गाये गए स्तवन ब्रह्मा जी श्रवण करें जिन चार (वेद रूपी) श्रंगों वाले गौरवर्णी देव ने इस जगत को बनाया।