उभयलिंगी कई प्रकार के होते हैं, जैसे (1) ऐसे प्राणी जो स्वनिषेचन (self-fertilization) करते हैं, जैसे हाइड्रा (hydra), फीताकृमि (tapeworm), चपटाकृमि (flatworm) आदि (इन जंतुओं में इनका अपना ही शुक्राणु अपने ही डिबों को निषेचित करता है), (2) दूसरे ऐसे प्राणी होते हैं जो निषेचन के लिए एक दूसरे पर निर्भर करते हैं;
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उभयलिंगी कई प्रकार के होते हैं, जैसे (1) ऐसे प्राणी जो स्वनिषेचन (self-fertilization) करते हैं, जैसे हाइड्रा (hydra), फीताकृमि (tapeworm), चपटाकृमि (flatworm) आदि (इन जंतुओं में इनका अपना ही शुक्राणु अपने ही डिबों को निषेचित करता है), (2) दूसरे ऐसे प्राणी होते हैं जो निषेचन के लिए एक दूसरे पर निर्भर करते हैं ; जैसे केंचुआ, जोंक आदि।