हमारा देश इस समय जनसंख्या-विस्फोट के युग से गुजर रहा है.
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भारत एक सनातन यात्रा जनसंख्या-विस्फोट बुद्ध के जमाने में इस देश की आबादी दो करोड़ थी।
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साक्षरता के दीप जलाकर, देश को सजग बनाऊंगी, जनसंख्या-विस्फोट से भरसक, अपना देश बचाऊंगी.
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वही गरीबी, वही भुखमरी, वही बेरोजगारी, वही सीमा विवाद, वही जनसंख्या-विस्फोट और वही सांप्रदायिक दंगे।
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हमें Echosystem समझाने की ज़गह ये बताया जाना चाहिए कि शेर, खरगोशों और हिरणों के जनसंख्या-विस्फोट को नियंत्रित करते हैं.
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हमारा देश इस समय जनसंख्या-विस्फोट के युग से गुजर रहा है. जहाँ देखिए वहीं अनियंत्रित और अनुशासनहीन भीड़.नई पीढ़ी प्रत्येक पुराने मूल्य को नकारने पर आमादा है.मानो केवल पुराना होना ही
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काश प्रेमचंद सरीखे दूरदृष्टि वाले कुछ और बुद्धिजीवी उसी जमाने में पैदा हो गये होते तो आज जनसंख्या-विस्फोट की गम्भीर और जटिल समस्या को लेकर देश को इतना चिन्तित क्यों होना पड़ता?
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इस दुविधा को दूर करने के संकेत भाजपा-अध्यक्ष के भाषण में दूर-दूर तक नहीं मिलते | राम-मंदिर, जनसंख्या-विस्फोट और बांग्लादेशियों की घुसपैठ-ये तीन मुद्दे उनके भाषण में से निकलते हैं लेकिन क्या ये मुद्दे पूरे देश को हिला सकते हैं?
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एक तरफ विकट आर्थिक संकट डरा रहा है तो दूसरी तरफ चीन-पाक की सीमा पर गुस्ताखी है तो वहीं तीसरी तरफ है बढ़ती बेरोजगारी और चौथी तरफ है अमीरी-गरीबी के मध्य लगातार बढ़ती खाई और पाँचवी, छठी, सातवीं तरफ है भुक्खड़ों की बढ़ती संख्या, नक्सलवाद, जनसंख्या-विस्फोट, आतंकवाद और जानलेवा महँगाई।