भक्त ‘ पुनरपि जन्मम् पुनरपि मरणम् ' रूपी दोष से मुक्त हो जाता है।
2.
इसके पालन से भगवत् धाम की प्राप्ति का मार्ग सहज ही प्राप्त हो जाता है और ' पुनरपि जन्मम् पुनरपि मरणम् ' दोष से छुटकारा तथा श्री विष्णु के चरणारविन्दों की अविराम भक्ति प्राप्त हो जाती है।