वह जन्मोत्तर का सौहार्द है जिसके कारण ऐसा होता है ।
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वह जन्मोत्तर का सौहार्द है जिसके कारण ऐसा होता है । '
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दूसरे शारीरिक क्षमताओं के जन्मोत्तर विकास में माता-पिता का सक्रिय योगदान महत्वपूर्ण है यह काम विश्वनाथ जी और ज्योति भाभी ने पूरी लगन के साथ किया।
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' बेचैन आत्मा ' जी के निर्देश पर ध्यान देवें, देव! जन्म और कष्ट ; दोनों के बीच सोहर का उत्साह पिरोया जाता है! कृष्ण के आस-पास जन्म के समय का कष्ट है, आरंभिक कष्ट है! राम के यहाँ जन्मोत्तर वनवास है, उत्तर-कष्ट है! एक गुप्तार-घात में जाता है और दूसरा बहेलिये के विशिख से मरता है!