आओ इसको बदलें, गतिमान करें, मल्लार-राग से भर दें जलवाह! पवन-संघातों से निःशेष करें दिग्दाह!
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Tripathiबृहस्पतिवार, जुलाई 19, 2012एक रूप एक रंग...सुंदर भाव..!!प्रत्युत्तर देंहटाएंवन्दनाशुक्रवार, जुलाई 20, 2012उनकी प्रार्थनाओं और गीतों में नहीं होता है कोई धर्म/जातिहोता है केवलजल और जलवाह क्या भाव हैप्रत्युत्तर देंहटाएं