' द्रविड़ ' (अथवा ' द्रुइड ') का सेल्टिक भाषा में अर्थ है-' बलूत वृक्ष का जाननहार ' (Knowing the oak tree) ।
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सब परिणमन श्रेणीबद्ध है, इसलिए तुम तो मात्र जानने वाले हो पूर्ण जाननहार इसमें विकार और अपूर्णता क्या?! एक रूप परिपूर्ण ही हो!........ परिपूर्ण परमात्मा हो!!!!! मैं ही परमात्मा हूँ ऐसा स्वीकार कर! राग की क्रिया करने वाले क्या वो तुम हो? अज्ञान
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सब परिणमन श्रेणीबद्ध है, इसलिए तुम तो मात्र जानने वाले हो पूर्ण जाननहार इसमें विकार और अपूर्णता क्या?! एक रूप परिपूर्ण ही हो!........ परिपूर्ण परमात्मा हो!!!!! मैं ही परमात्मा हूँ ऐसा स्वीकार कर! राग की क्रिया करने वाले क्या वो तुम हो? अज्ञान...
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सृष्टि में अन्य किसी की बात छोड़िये, सृष्टि रचयिता ब्रम्हा, देवराज इन्द्र और सृष्टिके संहारक शंकर भी जिसके स्तुति बन्दना भी लेशमात्र भी नहीं जानते तो और कौन है जो उस सर्व के जाननहार को उसके कृपा दृष्टिरूप तत्त्वज्ञान के वगैर उसे जान ले और ज्ञानदृष्टि के वगैर स्पष्टत: एवं सुनिश्चिततापूर्वक समस्त वर्ग-सम्प्रदायों के सद्ग्रन्थों से प्रमाणित रूप में बात-चीत सहित साक्षात् दर्शन-दीदार कर ले (रामचरित मानस से गीता 10 / 2, भा 0 म 0 पु 0 12 / 12 / 66, ऋग्वेद 1 / 164 / 38) ।