बहके अंग के हर हिस्से को, जिह्वा- रस से लिपटाय दिया
3.
उसने अपनी जिह्वा से सखी, अंग को चहूँ ओर से चाट लिया बहके अंग के हर हिस्से को, जिह्वा- रस से लिपटाय दिया रस में डूबे मेरे अंग में, अन्दर तक जिह्वा उतार दिया उस रात की बात न पूँछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया