लेकिन उसका पिता जीनसाज़ शेर मुहम्मद उन यातनाओं को सहन नहीं कर पाया।
3.
लेकिन आप यह बताइए कि मुल्ला नसरुद्दीन के पिता जीनसाज़ शेर मुहम्मद और उनके घरवाले कहाँ गए? ' ‘इतने जोर से मत बोलो मेरे बेटे।
4.
भिश्ती, ठठेरे, जुलाहे, गाड़ीवान, जीनसाज़ रात को कहवाखा़नों में इकट्ठे होकर उसकी वीरता की कहानियाँ सुना-सुनाकर अपना मनोरंजन करते; और वे कहानियाँ कभी भी समाप्त न होतीं।
5.
मुल्ला नसरुद्दीन ने उसे रोककर कहा, ‘अस्सलाम वालेकुम बुजुर्गवार, क्या आप बता सकते हैं कि इस जमीन पर किसका मकान था?' ‘यहाँ जीनसाज़ शेर मुहम्मद का मकान था।' बूढ़े ने उत्तर दिया, ‘मैं उनसे एक मुद्दत से परिचित था।