कालान्तर में भूकम्प इत्यादि अथवा जीर्ण-शीर्णता की अवस्था में इमारत के ढह जाने से मलबे में दबे रहने पर भी इन ताम्रपत्रों पर उत्कीर्ण श्रीमद्भागवत का मूल-पाठ हज़ारों वर्षों तक सुरक्षित रह पायेगा, जबकि मकराने के संगमरमर पर श्रीमद्भागवत को खुदवाने से ऐसा सम्भव नहीं था।