| 1. | जीवजगत् और जीवेत्तर जगत इनकी परिवर्तनशीलता में बड़ा फर्क है।
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| 2. | उद्विकासीय महत्व-आरंभ में ही हमने देखा है कि सृष्टि के जीवजगत् में विविधता दृष्टिगोचर होती है।
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| 3. | उद्विकासीय महत्व-आरंभ में ही हमने देखा है कि सृष्टि के जीवजगत् में विविधता दृष्टिगोचर होती है।
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| 4. | से तात्पर्य उन पहचानों या लक्षणों से जिनके द्वारा जीवजगत् में नर को मादा से पृथक् पहचाना जाता है।
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| 5. | परमात्म या अंशी आत्मतत्व के अस्तित्व को न मानने पर भी जीवजगत् की समस्याओं का समाधान प्राप्त हो सकता है।
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| 6. | लिंग (penis) से तात्पर्य उन पहचानों या लक्षणों से जिनके द्वारा जीवजगत् में नर को मादा से पृथक् पहचाना जाता है।
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| 7. | जीवविज्ञान में लिंग (Sex) से तात्पर्य उन पहचानों या लक्षणों से जिनके द्वारा जीवजगत् में नर को मादा से पृथक् पहचाना जाता है।
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| 8. | जीवविज्ञान में लिंग (Sex) से तात्पर्य उन पहचानों या लक्षणों से जिनके द्वारा जीवजगत् में नर को मादा से पृथक् पहचाना जाता है।
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| 9. | जीवजगत् की विविधता के संबंध में कोई व्यवस्थित व्याख्या उपलब्ध नहीं है, तथापि इस संबंध में अब तक जो कुछ कहा सुना गया है, उसका सारांश इस प्रकार है-
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| 10. | जीवजगत् की विविधता के संबंध में कोई व्यवस्थित व्याख्या उपलब्ध नहीं है, तथापि इस संबंध में अब तक जो कुछ कहा सुना गया है, उसका सारांश इस प्रकार है-
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