इस बार जुजबंदी करके रुक् न बनाने की तकनीक वहां पर बताई है ।
2.
३. वह पट्ठा या दफ्ती जो किसी किताब की सिलाई जुजबंदी आदि करके उसके ऊपर उसकी रक्षा की लिये लगाई जाती है ।
3.
पिछली बार जो जुजबंदी के बारे में बताया गया था उसको आधार बना कर हम बहरे मुतकारिब के रुक् न के जुज़ निकाल सकते हैं ।
4.
मुजारे के मामले में हमने ये किया कि मुजारे के स् थाई रुक् न मुफा + ई + लुन (वतद + सबब + सबब) की जुजबंदी में पहले जुज वतद की ठीक पहली मात्रा को ' खिरम ' परिवर्तन करते हुए हटा दिया ।
5.
रमल के मामले में हुआ ये कि रमल स् थाई रुक् न फा + एला + तुन (सबब + वतद + सबब) की जुजबंदी में हमने पहले ' सबब ' जुज ' फा ' में से दूसरी मात्रा को ' खबन ' परिवर्तन का प्रयोग करते हुए हटा दिया ।